Yogendra Yadav सुप्रीम कोर्ट में ले आए दो ‘मरे हुए’ वोटर्स—SIR ने खोल दी सेंसेशनल पोलिटिक्स की दिवार
Supreme Court के सामने Yogendra Yadav ने दो ऐसे लोगों को पेश किया जिन्हें Special Intensive Revision (SIR) ड्राफ्ट लिस्ट में ‘मौत’ घोषित किया गया था—लेकिन वे ज़िंदा हैं और कोर्ट में उपस्थित भी। यह मामला अब ताज़ा राजनीति का hottest topic बन गया है।
ड्रामा या डिसेनफ्रैंचाइजमेंट?
Yadav ने कोर्ट से कहा, “Please see them. These are declared as dead. They don’t appear. But they are alive… see them.” इस गंभीर आरोप पर ECI के वकील Rakesh Dwivedi ने इसे “drama best kept for television” कहा, जबकि Justice Bagchi ने कहा कि यह “inadvertent error” हो सकता है
SIR का असली मकसद—डिलीट, जोड़ो नहीं
Yadav ने जोर देकर कहा कि यह पहला मौका है जब किसी वोटर लिस्ट रीविजन में एक भी नाम नहीं जोड़ा गया—बल्कि केवल हटाए गए हैं। उन्होंने कहा, “Largest disenfranchisement in history”—65 लाख से ज़्यादा नाम हट चुके हैं, और कुल संख्या 1 करोड़ पार कर सकती है
बिहार का वोटर रोल कितना भरोसेमंद?
Yadav के मुताबिक, बिहार की वयस्क आबादी 8.18 करोड़ है, लेकिन वोटर लिस्ट में केवल 7.89 करोड़ लोग ही दर्ज़ हैं—29 लाख लोगों का गैप है। इसका मतलब है कि SIR ने वयस्क मतदाताओं को जोड़ने की बजाए, उन्हें सिस्टम से बाहर करने का काम किया है।